हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "वसाएल अलशिया" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
إخْتَبِرُوا إخْوانَكُمْ بِخَصْلَتَينِ: فَإنْ كانَتا فيهِمْ وَإلاّ فَأعْزُبْ ثُمَّ اَعْزُبْ ثُمَّ أعْزُبْ: ألْمُحافَظَةُ عَلَى الصَّلَواتِ فى مَواقيتِها وَالبِرُّ بِالإخْوانِ فِى العُسْرِ وَاليُسْرِ
हज़रत इमाम जफार सादीक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
अपने भाइयों को दो सिफातों से पहचानो!अगर वह दो सुफाते इनमें पाई जाती हो तो इन से दोस्ती को आगे बढ़ाओ वरना इनसे दूर रहो_दूर रहो _दूर रहो,और वह तो सिफाते यह हैं।
(1) वह अव्वाले वक्त नमाज़ का पाबंद हो।
(2) वह कठिनाइयां में और तंगदस्ती और आज़माइश में अपने दीनी भाइयों से अच्छा बर्ताव करते रहो।
वसाएल अलशिया,भाग 8,पेंज 503